Make in India – “मेक इन इंडिया” पहल भारत सरकार द्वारा 2014 में भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लक्ष्य के साथ शुरू की गई थी। इस पहल का उद्देश्य 2022 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को 16% से बढ़ाकर 25% करना और अगले पांच वर्षों में 10 crore नई नौकरियां पैदा करना है। सरकार ने कंपनियों के लिए भारत में निवेश और कारोबार करना आसान बनाने के लिए कई नीतिगत उपाय भी लागू किए हैं।
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मेक इन इंडिया (Make in India) के लाभ
- रोजगार सृजन और आर्थिक विकास (Job creation and economic growth): घरेलू स्तर पर वस्तुओं का निर्माण रोजगार सृजित कर सकता है और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकता है।
- निर्यात में वृद्धि (Increase in exports): अभियान का उद्देश्य देश को विनिर्माण केंद्र बनाकर वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना है।
- आयात पर कम निर्भरता (Reduced dependence on imports): स्थानीय स्तर पर वस्तुओं का उत्पादन करने से उन्हें अन्य देशों से आयात करने की आवश्यकता कम हो सकती है, व्यापार को संतुलित करने और चालू खाता घाटे को कम करने में मदद मिलती है।
- जीवन स्तर में सुधार (Improving the standard of living): इस पहल से रोजगार सृजित करके और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर लोगों के जीवन स्तर में सुधार की उम्मीद है।
- ब्रांड प्रचार (Brand promotion): मेड इन इंडिया उत्पाद वैश्विक बाजार में भारतीय ब्रांड को बढ़ावा देने में मदद करेंगे।
- बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण (Improved quality control): घरेलू स्तर पर वस्तुओं का निर्माण उत्पादन प्रक्रिया और अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता पर बेहतर नियंत्रण की अनुमति देता है।
- एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा (Boosting of MSME sector): एमएसएमई क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और भारत में बने उत्पाद इस क्षेत्र को बढ़ावा देंगे और अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने में भी मदद करेंगे।
- प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि (Increased competitiveness): स्थानीय स्तर पर वस्तुओं का उत्पादन करके कंपनियां वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकती हैं।
मेक इन इंडिया क्षेत्र पहल द्वारा लक्षित
मेक इन इंडिया “Make in India” अभियान, विनिर्माण को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए 25 प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है। ये क्षेत्र हैं:
Automobiles | Automobile Components | Aviation | Biotechnology | ||||||
Chemicals | Construction | Defense Manufacturing | Electrical Machinery | ||||||
Electronics System Design and Manufacturing | Food Processing | IT and BPM (Business Process Management) | Leather | ||||||
Media and Entertainment | Mining | Oil and Gas | Pharmaceuticals | ||||||
Ports and Shipping | Railways | Renewable Energy | Roads and Highways | ||||||
Space | Textiles and Garments | Thermal Power | Tourism and Hospitalitya | ||||||
Wellness |
अभियान का उद्देश्य नीति और बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के माध्यम से विनिर्माण और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण बनाना है।
मेक इन इंडिया पहल की मुख्य विशेषताएं (Key Features)
सरकार ने व्यवसायों के लिए भारत में निवेश और संचालन को आसान बनाने के लिए कई उपाय किए हैं। पहल की कुछ प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
- विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों को आसान बनाना
- व्यवसायों को कर प्रोत्साहन और सब्सिडी प्रदान करना
- औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट शहरों की स्थापना
- नवाचार और अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना
- बुनियादी ढांचे और रसद में सुधार
मेक इन इंडिया सरकार की नीतियां और पहल का समर्थन करने के उपाय –
भारत सरकार ने मेक इन इंडिया पहल का समर्थन करने के लिए कई नीतियों और उपायों को लागू किया है। कुछ इस प्रकार है:
- आईपी सुरक्षा (IP Protection): सरकार ने भारत में बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा में सुधार के लिए नवाचार और नई प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाए हैं।
- एफडीआई सुधार (FDI Reforms): सरकार ने रक्षा, निर्माण और चिकित्सा उपकरणों सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को उदार बनाकर विदेशी कंपनियों के लिए भारत में निवेश करना आसान बना दिया है।
- औद्योगिक गलियारा (Industrial Corridors): सरकार ने विशिष्ट क्षेत्रों में औद्योगिक विकास और निवेश को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा जैसे देश भर में कई औद्योगिक गलियारों की पहचान और विकास किया है।
- बुनियादी ढांचा विकास (Infrastructure Development): सरकार ने देश की कनेक्टिविटी और पहुंच में सुधार के लिए नए हवाई अड्डों, बंदरगाहों और राजमार्गों के निर्माण जैसे बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश किया है।
- व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business): सरकार ने व्यापार शुरू करने की प्रक्रिया को सरल बनाने, लाइसेंस और परमिट प्राप्त करने और विवादों को हल करने सहित भारत में व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए हैं।
- MSME समर्थन (MSME Support): सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) क्षेत्र को समर्थन देने के लिए कई उपाय पेश किए हैं, जिनमें क्रेडिट गारंटी, कर छूट और सब्सिडी शामिल हैं।
- कौशल विकास (Skill Development): सरकार ने कार्यबल को प्रशिक्षित और कुशल बनाने के लिए कार्यक्रमों को लागू किया है, जिससे वे निवेशकों के लिए अधिक रोजगारपरक और आकर्षक बन गए हैं।
- कर प्रोत्साहन (Tax Incentives): सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में निवेश करने वाली कंपनियों और भारत में निर्मित उत्पादों के लिए कर प्रोत्साहन प्रदान किया है।
- प्रौद्योगिकी उन्नयन (Technology Upgradation): सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में प्रौद्योगिकी उन्नयन को बढ़ावा देने और नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने में सहायता करने के लिए योजनाओं को लागू किया है।
- रक्षा उत्पादन (Defense Production): सरकार ने भारत में रक्षा उत्पादन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उपाय किए हैं, जिसमें क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाना और भारत में रक्षा उपकरणों के उत्पादन के लिए कर प्रोत्साहन प्रदान करना शामिल है।
परिणामों का आकलन- “मेक इन इंडिया” पहल के प्रभाव का विश्लेषण
“मेक इन इंडिया” पहल का उद्देश्य देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में बढ़ावा देना और विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित करना है। इस पहल का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के कई प्रभाव पड़े हैं।
सकारात्मक प्रभाव (Positive Impacts:):
- विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि: इस पहल से विनिर्माण क्षेत्र में FDI में वृद्धि हुई है, 2014 और 2019 के बीच इस क्षेत्र में FDI प्रवाह में लगभग 20% की वृद्धि हुई है।
- नौकरी के अवसरों में वृद्धि: इस पहल से विनिर्माण क्षेत्र में नौकरी के अवसरों में वृद्धि हुई है, जिसका देश की बेरोजगारी दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
- बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धात्मकता: इस पहल से भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने में मदद मिली है, जिसका देश के व्यापार संतुलन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
- व्यापार करने में आसानी: इस पहल से भारत में व्यापार करने में आसानी में सुधार हुआ है, जिससे देश को विदेशी निवेशकों के लिए और अधिक आकर्षक बनाने की उम्मीद है।
- बुनियादी ढाँचे का विकास: इस पहल से विनिर्माण क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे का विकास हुआ है, जैसे कि बिजली और पानी की आपूर्ति, परिवहन और रसद नेटवर्क और औद्योगिक भूमि।
नकारात्मक प्रभाव (Negative Impacts):
- रोजगार पर सीमित प्रभाव: मेक इन इंडिया पहल का रोजगार सृजन पर महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा है और यह विनिर्माण क्षेत्र में पर्याप्त रोजगार सृजित करने में सक्षम नहीं है।
- सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि पर सीमित प्रभाव: मेक इन इंडिया पहल का सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि पर महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा है, विनिर्माण क्षेत्र की सकल घरेलू उत्पाद की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है।
- कुछ क्षेत्रों पर फोकस की कमी: मेक इन इंडिया अभियान कुछ ऐसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम नहीं रहा है जहां भारत को कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी जैसे तुलनात्मक लाभ हैं।
- निर्यात पर सीमित प्रभाव: निर्यात बढ़ाने की पहल के प्रयासों के बावजूद, हाल के वर्षों में भारत के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं देखी गई है।
- पर्यावरण संबंधी चिंताएं: कुछ आलोचकों ने मेक इन इंडिया पहल के पर्यावरणीय प्रभाव और पर्यावरणीय नियमों को लागू करने की सरकार की क्षमता के बारे में चिंता जताई है।
संक्षेप में, मेक इन इंडिया पहल का भारतीय अर्थव्यवस्था पर मिश्रित प्रभाव पड़ा है, कुछ सकारात्मक प्रभावों के साथ जैसे कि विदेशी निवेश में वृद्धि और व्यापार करने में आसानी, लेकिन कुछ नकारात्मक प्रभाव भी जैसे रोजगार पर सीमित प्रभाव, जीडीपी वृद्धि, और निर्यात।
मेक इन इंडिया initiative क्या है?
मेक इन इंडिया भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में शुरू की गई एक सरकारी initiative है, जिसका लक्ष्य कंपनियों को भारत में अपने उत्पादों का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करना और देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाना है।
मेक इन इंडिया initiative किन क्षेत्रों पर केंद्रित है?
मेक इन इंडिया पहल ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, जैव प्रौद्योगिकी, रसायन, निर्माण, रक्षा विनिर्माण, विद्युत मशीनरी, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना प्रौद्योगिकी और व्यापार प्रक्रिया प्रबंधन, चमड़ा, मीडिया और मनोरंजन, खनन, तेल और गैस, बंदरगाह, रेलवे, नवीकरणीय ऊर्जा, सड़क और राजमार्ग, वस्त्र और परिधान, और पर्यटन और आतिथ्य सहित 25 क्षेत्रों पर केंद्रित है।
मेक इन इंडिया पहल ने भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित किया है?
मेक इन इंडिया पहल का विदेशी निवेश और रोजगार सृजन में वृद्धि के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इस पहल से देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी में भी वृद्धि हुई है। हालाँकि, यह अभी भी चल रही initiative है, और भारतीय अर्थव्यवस्था पर पहल का पूरा प्रभाव अभी देखा जाना बाकी है।
मेक इन इंडिया पहल में एक विदेशी कंपनी कैसे भाग (participate) ले सकती है?
विदेशी कंपनियाँ भारत में विनिर्माण संचालन स्थापित करके, भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग करके, या देश के बुनियादी ढाँचे और विनिर्माण क्षेत्रों में निवेश करके मेक इन इंडिया पहल में भाग ले सकती हैं।